Tuesday, October 13, 2009

अब वसुंधरा प्रकरण के पटाक्षेप का वक्त



मंगलवार को तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान पूरा होने के बाद भाजपा आलाकमान को एक बार फिर वसुंधरा राजे प्रकरण से जूझना पड़ेगा। पार्टी के बड़े नेताओं में मतभेद की वजह से यह मामला लटक रहा है। दरअसल इस मुद्दे पर बड़े नेता भी दो खेमे में बंटे हुए हैं। इस बीच वसुंधरा ने पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात भी की है, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी। पार्टी में सभी नेता यह तो कह रहे हैं कि वसुंधरा का राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से हटना तय है, लेकिन कब तक? इसका सीधा जवाब किसी के पास नहीं है।
भाजपा आलाकमान के फैसले को बीते दो माह से चुनौती देती आ रहीं वसुंधरा पर फैसले की घड़ी नजदीक आती जा रही है। वह खुद इस्तीफा दें या उन पर कार्रवाई की जाए इस पर भले ही मतभेद हो, लेकिन नेतृत्व इस बात पर एक मत है कि इस मामले का पटाक्षेप राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के पहले कर दिया जाए। यह बैठक ख्8-ख्9 अक्टूबर को दिल्ली में होने जा रही है। हालांकि, पार्टी नेतृत्व क्फ् अक्टूबर को मतदान पूरा होने के बाद से ही इस मामले पर सक्रिय हो जाएगा। उसकी पहली कोशिश तो दीपावली के पहले ही वसुंधरा से इस्तीफा लेने की है। पार्टी के एक केंद्रीय नेता ने दीपावली के पहले या बाद कार्रवाई के सवाल पर कहा कि यहां तो हर रोज त्यौहार होते हैं। पहली कोशिश यह होगी कि वह खुद ही इस्तीफा दे दें, नहीं तो कार्रवाई की जाएगी।

दरअसल वसुंधरा मामले पर पार्टी के शीर्ष नेताओं में भी दूरियां बढ़ने लगी हैं। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू भी एक महीने की कवायद के बाद वसुंधरा को इस्तीफा के लिए तैयार नहीं कर सके हैं। वसुंधरा ने भी नायडू व पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के बजाय आडवाणी से मुलाकात के बाद चुप्पी साध समस्या और बढ़ा दी है। वसुंधरा इस मामले पर पुनर्विचार चाहती हैं, लेकिन पार्टी का एक बड़ा वर्ग इसके सख्त खिलाफ है और उसका साफ मानना है कि अगर वह अब भी नहीं मानीं तो पार्टी को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।