Sunday, January 17, 2010

नेपाल संधि की समीक्षा चाहता है भारत


काठमांडू। भारत ने नेपाल की मांग को ध्यान में रखते हुए रविवार को कहा कि वह 1950 में हुई शांति एवं मित्रता संधि की समीक्षा करना चाहता है, लेकिन इसके लिए पहल पड़ोसी देश की ओर से की जानी चाहिए क्योंकि इसमें स्पष्टता जरूरी है। नेपाल के तीन दिवसीय दौरे पर गए विदेश मंत्री एसएम. कृष्णा ने संवाददाताओं से कहा कि हम इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि 1950 की संधि की समीक्षा करने की जरूरत इसलिए है क्योंकि इस पर 60 साल पहले हस्ताक्षर हुए थे और तब से अब तक समय बहुत बदल चुका है। शीत युद्ध भी समाप्त हो चुका है। विदेश मंत्री ने कहा कि हम पूरी संधि की समीक्षा करना चाहते हैं लेकिन इसके लिए पहल नेपाल की ओर से की जानी चाहिए। नेपाल की ओर से स्पष्टता होनी चाहिए। उन्हें साफ साफ बताना चाहिए कि वे क्या चाहते हैं। यह मुद्दा कृष्णा से मिलने आए सभी नेपाली नेताओं ने उठाया। माआवेादियों ने खास तौर पर संधि को समाप्त करने के लिए दबाव डालते हुए कहा कि यह असमान संधि है। दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर में विलंब के बारे में पूछे जाने पर कृष्णा ने कहा कि भारत निश्चित रूप से जल्दी चाहेगा लेकिन वह तब तक इंतजार करना चाहता है जब तक नेपाल तैयार न हो जाए। नेपाल में इस बारे में राजनीतिक दलों में सहमति न बन पाने के कारण इस पर हस्ताक्षर में विलंब हो रहा है।

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